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रूपरेखा

महेंद्र भवन

‘हीरा नगरी’ के नाम से प्रसिद्ध पन्ना मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्व विंध्यांचल की सुरम्य पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित है। पन्ना जिले का वर्तमान स्वरूप पन्ना और अजयगढ़ रियासत, चरखारी, बिजावर, छतरपुर और यूनाइटेड प्रोविन्स को मिला कर हुआ है।

मूल रूप से 13 वीं शताब्दी तक की गोंड बस्ती, पन्ना को महाराजा छत्रसाल बुंदेला ने राजधानी बनाया था। अप्रैल 1949 के पूर्व यह जिला विंध्यप्रदेश का अंग था, जिसे 1 नवंबर 1956 को मध्य प्रदेश में मिला दिया गया था। 20 अक्टूबर, 1972 को सागर संभाग की स्थापना होने पर इसे रीवा संभाग से प्रथक कर सागर संभाग में सम्मिलित किया गया।

पन्ना जिले का नाम पन्ना जिला मुख्यालय के पास पद्मावती देवी जी मंदिर के नाम पर रखा गया है। पन्ना को महाराजा छत्रसाल के शहर के रूप में भी जाना जाता है। पन्ना उत्तर में उत्तर प्रदेश के बांदा जिला, पूर्व में सतना जिला, दक्षिण में कटनी और दमोह जिला और पश्चिम में छतरपुर जिले से घिरा हुआ है।

पन्ना में हीरे की खान हैं, साथ ही यह अपने प्राचीन और सुंदर मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इसी कारण से इसे ‘मंदिरों की नगरी’ भी कहा जाता है। यहाँ पर स्थित श्री प्राणनाथ जी और श्री बलदेव जी का मंदिर तीर्थगणों के बीच प्रसिद्ध है। पन्ना में एक राष्ट्रीय उद्यान भी है जहाँ पन्ना टाइगर रिजर्व और कई दुर्लभ वन्यजीव पाए जाते हैं।